आगरा की सेंट्रल जेल में सवा पांच साल रहा था शबनम का प्रेमी सलीम, निचली अदलत ने दे दी थी फांसी की सजा
आगरा की सेंट्रल जेल में सवा पांच साल रहा था शबनम का प्रेमी सलीम, निचली अदलत ने दे दी थी फांसी की सजा
आगरा-अमरोहा के बावन खेड़ी सामूहिक हत्याकांड का अभियुक्त एवं शबनम का प्रेमी सलीम आगरा सेंट्रल जेल में सवा पांच साल तक निरुद्ध रहा था। निचली अदालत से फांसी की सजा मिलने के बाद सलीम को मुरादाबाद मंडल जेल से आगरा सेंट्रल जेल में स्थानांतरित किया गया था।
अमरोहा के बावन खेड़ी की रहने वाली शबनम ने 15 अप्रैल 2008 को प्रेमी सलीम के साथ मिलकर अपने ही परिवार के सात लोगों की सामूहिक हत्या कर दी थी। शबनम ने प्रेमी के साथ साजिश रची थी। अपने परिवार के लोगों को खाने में नींद की गोली देकर बेहोश कर दिया। इसके बाद उन्हें कुल्हाड़ी से काट डाला था। पुलिस ने सामूहिक हत्याकांड का पर्दाफाश करते हुए शबनम और उसके प्रेमी सलीम को गिरफ्तार करके जेल भेजा था। दोनों के खिलाफ चार्जशीट अदालत में दाखिल की थी। वर्ष 2010 में सेशन कोर्ट ने शबनम और सलीम को फांसी की सजा सुनाई। वर्ष 2013 में हाईकोर्ट ने भी सेशन कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा। इसके बाद वर्ष 2015 में सर्वोच्च न्यायालय ने भी दोनों की फांसी की सजा बरकरार रखी।
सजायाफ्ता सलीम काे मुरादाबाद की जेल से 17 जुलाई 2010 को आगरा सेंट्रल जेल में स्थानांतरित किया गया था। यहां पर वह सवा पांच साल से ज्यादा रहा। प्रेमिका शबनम के साथ सात लोगों की सामूहिक हत्या करने के चलते वह अन्य बंदियों में भी चर्चा का विषय रहा था। इसके चलते वह बंदियों से अलग-थलग रहता था।यहां रहने के दौरान कोई उससे मिलने आया कि नहीं,जेल प्रशासन को याद नहीं है। जेलर एसपी मिश्रा ने बताया सलीम को 22 नवंबर को 2015 काे प्रशासनिक आधार पर यहां से बरेली सेंट्रल जेल ट्रांसफर कर दिया गया था।
सेंट्रल जेल में निरुद्ध हैं फांसी की सजा पाए पांच बंदी
आगरा सेंट्रल जेल में फांसी की सजा पाने वाले पांच बंदी वर्तमान में निरुद्ध हैं।इन सभी की याचिका सर्वोच्च न्यायालय में लंबित हैं। फांसी की सजा पाने वाले बंदियों में चार बुलंदशहर के रहने वाले हैं। इनमें तीन बंदी नरौरा और एक गुलावठी थाना क्षेत्र का है। चारों ने अपनी फांसी की सजा के विरुद्ध सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की हुई है।जबकि एक बंदी आगरा के अछनेरा थाना क्षेत्र का है।
जिला जेल में 30 वर्ष पहले हुई थी आखिरी बार फांसी
आगरा जिला जेल के फांसीघर में 30 वर्ष पहले फांसी हुई थी। फांसीघर अब खंडहर में बदल चुका है। जिला जेल में फीरोजाबाद के राय गढ़मढ़ा निवासी बंदी जुम्मन पुत्र जफर को दुष्कर्म और हत्या में दोषी पाए जाने दो फरवरी 1991 की सुबह पांच बजे फांसी दी गई थी। वह बुलंदशहर के थाना चांदपुर के सराय मनिहारन का रहने वाला था।वहां से काम की तलाश में फीरोजाबाद आकर रिक्शा चलाने लगा था। यहां उसने अबोध बच्ची से दुष्कर्म के बाद उसकी हत्या कर दी थी।
फांसी के तख्त खराब लीवर ने रोक दिए थे मौत के कदम
जिला जेल के फांसी घर में आठ साल पहले एक बंदी की फांसी देने की तैयारी की गई थी। मगर, ऐन वक्त पर फांसी के तख्ते के खराब लीवर ने मौत के कदमों को रोक दिया था। तकनीकी समस्या से दूसरी जेल में फांसी देने की तैयारी करनी पड़ी थी। फतेहगढ़ की सेंट्रल जेल में निरुद्ध एक बंदी को अपने भाई और भतीजों की हत्या में फांसी की सजा सुनाई गई थी। राष्ट्रपति द्वारा उसकी दया याचिका खारिज कर दी गई थी। बंदी को आगरा जिला जेल में फांसी देने की तैयारी की गई। फांसी घर की मरम्मत कराई गई, जिस पिलर (गैलोज) पर उसे लटकाना था, वह बदला गया। इसके बाद तख्त को खींचने वाले लीवर को चेक किया तो वह काम नहीं कर रहा था। काफी तलाश के बाद भी फांसी के तख्ते का लीवर सही करने वाला नहीं मिला था।

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