प्राचीन नवदुर्गा मंदिर, महादेव मंडी धनौरा
प्राचीन नवदुर्गा मंदिर, महादेव मंडी धनौरा
मंडी धनौरा - नगर के महादेव चुंगी स्थित मंदिर में मौजूद वर्षों पुराना पट वृक्ष मंदिर के पुरातत्व की गवाही देता है। यह एक सिद्ध मंदिर है। माता रानी सच्चे मन से मांगी हर मन्नत को जरूर पूरा करती है।
ऐसे पहुंचें मंदिर
प्राचीन नवदुर्गा मंदिर नगर का सबसे प्राचीन मंदिर है। गजरौला की तरफ से आने वाले भक्त वाहनों के सहारे महादेव चुंगी पर उतरते है। जिसके बाद पैदल ही मंदिर की तरफ कूच करते है। चांदपुर, अमरोहा मार्ग से भी भक्त चुंगी के सहारे मंदिर पहुंचते है।
मंदिर का इतिहास
प्राचीन नवदुर्गा मंदिर क्षेत्र में लोगों की आस्था का केन्द्र बना हुआ है। करीब डेढ़ सौ साल पुराना मंदिर शहर के प्रमुख मंदिरों में से एक था। यहां पूरे नवरात्रों मेला लगा रहता है। मंदिर में महालक्ष्मी, मां काली व मां सरस्वती साक्षात विराज मान है। बाबा बजरंग बली व भैरा बाबा यहां माता के संगी है। भक्तों ने जीर्णोद्वार के बाद यहां नव दुर्गा की स्थापना कराई थी।
मंदिर की विशेषता
मंदिर पर प्रत्येक चैत्र व शारदीय नवरात्रों में मेले का आयोजन किया जाता है। दूर दराज क्षेत्र से लोग यहां माथा टेकने पहुंचते है। ऐसी मान्यता है कि यहां मन से मांगी गई मुराद को माता भवानी पूरी करती है। राजनीति से जुड़े लोग मंदिर पर माथा टेकने के बाद ऊंचाई को छू चुके है।
वास्तुकला
मंदिर का भव्य रूप से निर्माण दस वर्ष पूर्व मंदिर की कमेटी द्वारा कराया गया। यहां पर मुख्य मंदिर में माता रानी विराजमान है। इसके अलावा मंदिर के नौ कोनों पर माता के नौ स्वरूप विराजित है। मंदिर को सैकड़ो वर्ष पुराना वट वृक्ष अपनी छाया प्रदान करता है। मंदिर के निकट शंकर भगवान, शनि देवता के मंदिर हैं।
क्षेत्र में माता दुर्गा को मंदिर आस्था का प्रतीक है। यहां पर माथा टेकने व सच्चे मन से मांगी गई हर मुराद को मां भगवती पूरा करती है। मंदिर में सुबह शाम आरती के बाद भोग लगाए जाते है।
हरिओम त्रिवेदी, पुजारी नवदुर्गा मंदिर
नगर के रामलीला मैदान के निकट इस मंदिर में लोगों की बहुत पुरानी आस्था है। यहां दूर-दूर से लोग माता रानी के दर्शन के लिए आते हैं तथा माता उनकी हर मुराद को पूरा करती है।

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