भारत के वेंकट को स्विट्जरलैंड में मिली डॉक्टरेट की उपाधि।
भारत के वेंकट को स्विट्जरलैंड में मिली डॉक्टरेट की उपाधि।
भारत के आईआईटियन वेंकट कपिल को स्विट्जरलैंड के इकोले पॉलिटेक्निक फेडरल डी लाजेन (स्विस फेडरल तकनीकी संस्थान) द्वारा डॉक्टरेट की उपाधि दी गई हैं। 24 अगस्त 1993 को जन्मे वेंकट कपिल मूलतः भारत के रहने वाले हैं। प्रयागराज से उनका गहरा नाता रहा हैं। वेंकट की प्रारंभिक शिक्षा प्रयागराज में सेंट जोसेफ व गंगा गुरुकुलम फाफामऊ में हुई हैं। शुरू से ही मेघावी छात्र रहे वेंकट कपिल ने आईआईटी कानपुर से डिग्री हासिल किया और स्विट्जरलैंड चले गये जहां वो इकोले पॉलिटेक्निक फेडरल डी लाजेन (स्विस फेडरल तकनीकी संस्थान) अध्ययनरत रहे। वेंकट कपिल के पिता शैलेंद्र कपिल भारतीय रेल सेवा के वरिष्ठ अधिकारी हैं और उनकी माँ डॉक्टर रूपा कपिल भी रेलवे की चिकित्सा सेवा में वरिष्ठ पद पर तैनात हैं। लम्बे समय तक दोनों यहाँ उत्तर मध्य रेलवे जोन में सेवा दे चुके हैं और इन दिनों ईस्ट कोस्ट रेलवे जोन भुवनेश्वर में नियुक्त हैं। वेंकट कपिल ने अपना पीएचडी न्यूक्लियर क्वांटम इफेक्ट फ़ास्ट एंड एक्यूरेट पर किया हैं। शुक्रवार की देर शाम स्विट्जरलैंड के इकोले पॉलिटेक्निक फेडरल डी लाजेन (स्विस फेडरल तकनीकी संस्थान) लाजेन में वेंकट कपिल ने अपने थीसिस न्यूक्लियर क्वांटम इफेक्ट फ़ास्ट एंड एक्यूरेट पर विशेषज्ञ प्रोफेसर और अपने गाइड की उपस्थिति में प्रेजेंटेशन दिया। पूरे थीसिस प्रेजेंटेशन के दौरान भारत में भी लोग इंटरनेट के द्वारा सीधा प्रसारण देखते रहे। वेंकट के थीसिस प्रेजेंटेशन के बाद उनको डॉक्टरेट की उपाधि दी गई। उनके पिता शैलेंद्र कपिल माँ रूपा कपिल ने इस पल को बहुत गौरवशाली बताया और देश का नाम शिक्षा के छेत्र में ऊँचा करने के लिए बेटे को बधाई दी। वेंकट के संस्थान के प्रोफेसर व साथियों ने भी उन्हें इस उपलब्धि के लिये बधाई दी। उल्लेखनीय हैं कि इकोले पॉलीटेक्निक फेडरल डी लॉज़ेन (स्विस फेडरल तकनीकी संस्थान, लाजेन फ्रेंच स्विटजरलैण्ड के लॉज़ेन नगर में स्थित एक अनुसंधान विश्वविद्यालय है। इसकी विशेषज्ञता भौतिक विज्ञानों तथा इंजीनियरी के क्षेत्र में है। दुनिया के अग्रणी विश्वविद्यालयों में इस संस्थान की गणना होती है। क्यू एस विश्वविद्यालय रैंकिंग के अनुसार सभी विश्वविद्यालयों में इकोले पॉलिटेक्निक फेडरल डी लाजेन का स्थान 14वाँ है जबकि केवल इंजीनियरी विश्वविद्यालयों में इसका स्थान पूरी दुनिया में 17वाँ है।

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