लॉकडाउन का इफेक्ट : खाते में पैसे भेज दिए है पंडित जी ,तेरहवीं का भोज खा लीजिएगा
लॉकडाउन का इफेक्ट : खाते में पैसे भेज दिए है पंडित जी ,तेरहवीं का भोज खा लीजिएगा
उत्तर प्रदेश गोरखपुर- कोरोना अभी जाने क्या-क्या बदलाव दिखाएगा। वर्क फ्रॉम होम और ऑनलाइन पढ़ाई की तरह ऑनलाइन तेरहवीं भोज भी देना पड़ रहा है। गोरखपुर के दो परिवारों ने अपने दिवंगत बुजुर्गों के तेरहवीं भोज के लिए पंडितों के खातों में ऑनलाइन पैसा ट्रांसफर किया है। इसमें भोजन, लोटा-धोती, गीता, चटाई, जूते-मोजे और छाता-टॉर्च का पैसा जोड़ा गया है। एक अन्य परिवार, जहां एक मई को तेरहवीं है, भोज के लिए पंडित तलाश कर थक गया है। यह परिवार भी अंतत: ऑनलाइन भोज के विकल्प पर ही सहमत हो रहा है।
लॉकडाउन ने सब कुछ तो रोक दिया पर जिंदगी और मौत कभी नहीं रुकती। मौत होगी तो कर्मकांड भी होंगे। लॉकडाउन में तेरहवीं भोज कैसे हो? पंडित तेरहवीं खाने के लिए तो प्रशासन से पास मांग नहीं सकते। दान-दक्षिणा के लिए लोटा-धोती, जूते-मोजे, छाता-टॉर्च की दुकानें भी नहीं खुल सकतीं। न हलवाई को तेरहवीं का भोजन बनाने के नाम पर पास मिलेगा। ऐसे में तेरहवीं के ब्राह्मण भोज की परम्परा भी बदल रही है।
अयोध्या के पंडितों को ट्रांसफर की रकम
गोरखपुर के हुमायूंपुर निवासी व्यापारी देवी जायसवाल का लॉकडाउन के दौरान निधन हो गया। उनका कर्मकांड पं. रामकरण पांडेय ने कराया। वह बताते हैं- मैंने कर्मकांड तो करा दिया, लेकिन तेरहवीं खाने को ब्राह्मण नहीं मिले। लॉकडाउन में कैसे निकलेंगे? सबने यही कहा। अंतत: देवी जायवाल के अयोध्या के प्रति लगाव को देखते हुए फोन पर बात की और अयोध्या के पंडितों के खातों में पैसा ट्रांसफर किया। बाकी परम्पराएं गोरखपुर में ही हुईं। इसी तरह चरनलाल चौराहा निवासी प्रकाश अग्रहरि के परिवार के लोगों ने भी ब्राह्मणों को पैसा भेजकर तेरहवीं भोज की परम्परा निभाई।
मुझे पांच पंडित ही मिल जाएं
नंदानगर के श्रीवास्तव परिवार में एक मई को तेरहवीं है। परिवार अभी से ब्राह्मण तलाश रहा है। परिवार की इच्छा है कि तेरहवीं विधानपूर्वक हो जाए। कम से कम पांच ब्राह्मण ही घर पर भोजन कर लें लेकिन वह भी नहीं मिल रहे हैं। परिवार अंतत: पंडित न मिलने पर ऑनलाइन पैसा भेजने के विकल्प पर सहमत है।
गोरखपुर के सुअरहा गांव निवासी रिटायर फौजी कृपाकांत शुक्ल (79) का ब्रह्मभोज सोमवार को है। उनके बेटे संजय शुक्ला ने बताया- ब्रम्हभोज में ब्राम्हण घर आने को तैयार नहीं हैं। ब्राम्हण भोजन कराना जरूरी है। 16 ब्राम्हणों की तलाश कर रहा हूं। उनके खाते में पैसा ट्रांसफर कर परंपरा पूरी करूंगा।
मौत तो टाली नहीं जा सकती। तेरहवीं भोज के लिए कोई न कोई उपाय तो निकालना ही पड़ेगा। संक्रमण काल में घर में भोजन कराने में दिक्कत आ रही है। ऐसी स्थिति में गाय को भोजन कराने के बाद क्षमता अनुसार ऑनलाइन दान-दक्षिणा देकर भी गृह-शुद्धि हो सकती है।
पं. हरिद्वार शुक्ल, प्राचार्य, संस्कृत महाविद्यालय
उत्तर प्रदेश गोरखपुर- कोरोना अभी जाने क्या-क्या बदलाव दिखाएगा। वर्क फ्रॉम होम और ऑनलाइन पढ़ाई की तरह ऑनलाइन तेरहवीं भोज भी देना पड़ रहा है। गोरखपुर के दो परिवारों ने अपने दिवंगत बुजुर्गों के तेरहवीं भोज के लिए पंडितों के खातों में ऑनलाइन पैसा ट्रांसफर किया है। इसमें भोजन, लोटा-धोती, गीता, चटाई, जूते-मोजे और छाता-टॉर्च का पैसा जोड़ा गया है। एक अन्य परिवार, जहां एक मई को तेरहवीं है, भोज के लिए पंडित तलाश कर थक गया है। यह परिवार भी अंतत: ऑनलाइन भोज के विकल्प पर ही सहमत हो रहा है।
लॉकडाउन ने सब कुछ तो रोक दिया पर जिंदगी और मौत कभी नहीं रुकती। मौत होगी तो कर्मकांड भी होंगे। लॉकडाउन में तेरहवीं भोज कैसे हो? पंडित तेरहवीं खाने के लिए तो प्रशासन से पास मांग नहीं सकते। दान-दक्षिणा के लिए लोटा-धोती, जूते-मोजे, छाता-टॉर्च की दुकानें भी नहीं खुल सकतीं। न हलवाई को तेरहवीं का भोजन बनाने के नाम पर पास मिलेगा। ऐसे में तेरहवीं के ब्राह्मण भोज की परम्परा भी बदल रही है।
अयोध्या के पंडितों को ट्रांसफर की रकम
गोरखपुर के हुमायूंपुर निवासी व्यापारी देवी जायसवाल का लॉकडाउन के दौरान निधन हो गया। उनका कर्मकांड पं. रामकरण पांडेय ने कराया। वह बताते हैं- मैंने कर्मकांड तो करा दिया, लेकिन तेरहवीं खाने को ब्राह्मण नहीं मिले। लॉकडाउन में कैसे निकलेंगे? सबने यही कहा। अंतत: देवी जायवाल के अयोध्या के प्रति लगाव को देखते हुए फोन पर बात की और अयोध्या के पंडितों के खातों में पैसा ट्रांसफर किया। बाकी परम्पराएं गोरखपुर में ही हुईं। इसी तरह चरनलाल चौराहा निवासी प्रकाश अग्रहरि के परिवार के लोगों ने भी ब्राह्मणों को पैसा भेजकर तेरहवीं भोज की परम्परा निभाई।
मुझे पांच पंडित ही मिल जाएं
नंदानगर के श्रीवास्तव परिवार में एक मई को तेरहवीं है। परिवार अभी से ब्राह्मण तलाश रहा है। परिवार की इच्छा है कि तेरहवीं विधानपूर्वक हो जाए। कम से कम पांच ब्राह्मण ही घर पर भोजन कर लें लेकिन वह भी नहीं मिल रहे हैं। परिवार अंतत: पंडित न मिलने पर ऑनलाइन पैसा भेजने के विकल्प पर सहमत है।
गोरखपुर के सुअरहा गांव निवासी रिटायर फौजी कृपाकांत शुक्ल (79) का ब्रह्मभोज सोमवार को है। उनके बेटे संजय शुक्ला ने बताया- ब्रम्हभोज में ब्राम्हण घर आने को तैयार नहीं हैं। ब्राम्हण भोजन कराना जरूरी है। 16 ब्राम्हणों की तलाश कर रहा हूं। उनके खाते में पैसा ट्रांसफर कर परंपरा पूरी करूंगा।
मौत तो टाली नहीं जा सकती। तेरहवीं भोज के लिए कोई न कोई उपाय तो निकालना ही पड़ेगा। संक्रमण काल में घर में भोजन कराने में दिक्कत आ रही है। ऐसी स्थिति में गाय को भोजन कराने के बाद क्षमता अनुसार ऑनलाइन दान-दक्षिणा देकर भी गृह-शुद्धि हो सकती है।
पं. हरिद्वार शुक्ल, प्राचार्य, संस्कृत महाविद्यालय
लॉकडाउन का इफेक्ट : खाते में पैसे भेज दिए है पंडित जी ,तेरहवीं का भोज खा लीजिएगा
Reviewed by Hindustan News 18
on
April 24, 2020
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